बड़े काम की है ये हाईटेक मशीन, फसलों से दूर रहेंगी बीमारियां

फसलों को बीमारियों से बचाना और फिर तैयार फसल को बाजार पहुंचाने तक संरक्षित रखना किसानों के लिए बड़ी चुनौती है।

अमूमन इसके लिए रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है, जो स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालता है।

इससे निपटने के लिए कृषि विज्ञानियों ने एक ऐसी मशीन तैयार की है, जो फसल को सुरक्षित रखने वाले एक प्रकार के फफूंद ट्राइकोडर्मा का लिक्विड फिल्ट्रेट बनाती है।

जैव-नियंत्रण क्षमता से युक्त यह द्रव न केवल बीज और मृदा शोधन के जरिये पौधों को बीमारी से बचाने और उन्हें स्वस्थ रखने में सक्षम है, बल्कि इसके उपयोग से फलों को भी सात से आठ दिन तक सहेज कर रखा जा सकता है।ओडिशा, उत्तर प्रदेश और बिहार सहित तीन राज्यों के चार कृषि विश्वविद्यालयों के विज्ञानियों के सामूहिक सहयोग से इस मशीन को तैयार गया है।

इसका मूल्य दो लाख रुपये के आसपास होगा। ट्राइकोडर्मा फिल्ट्रेट तैयार करने वाली यह देश की पहली मशीन है। इस मशीन के डिजाइन का पेमेंट भारत सरकार ने गत 25 मार्च को दे दिया है।ट्राइकोडर्मा एक प्रकार का फफूंद है, जो रोगजनक फफूंदों के विरुद्ध काम करता है। मशीन का निर्माण करने वाली टीम के अगुवा बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर भागलपुर के विज्ञानी डॉ. अरशद अनवर बताते हैं कि फसलों को बीमारियों से बचाने के ट्राइकोडर्मा का उपयोग लंबे समय से होता आ रहा है, लेकिन अब तक यह पाउडर के रूप में ही उपलब्ध था जोकि साल भर में ही  गुणवत्ता खो देता था।पौधों पर इसका प्रभाव एक जैसा नहीं पड़ता था। ट्राइकोडर्मा के द्रव रूप में यह समस्या नहीं आएगी। यह दो वर्षों काम करेगा। साथ ही इस मशीन को जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जो 45 डिग्री सेल्सियस तक में ट्राइकोडर्मा लिक्वड फिल्ट्रेट बनाने में सक्षम है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!