द्धा और स्वर का संगम,श्रेया घोषाल की आवाज में ‘राम भजन कर मन’ का नया रूप

प्रभु श्रीराम को समर्पित सुप्रसिद्ध भजन ‘राम भजन कर मन’, जिसे कभी स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने अपनी मधुर आवाज से अमर किया था, अब श्रद्धेय श्रेया घोषाल की आत्मिक प्रस्तुति में एक नए भाव और तरंग के साथ सामने आया है। यह भजन सारेगामा इंडिया लिमिटेड द्वारा पुनः प्रस्तुत किया गया है, जो आध्यात्मिक चेतना और भक्ति भाव से ओतप्रोत है।

श्रद्धा, संगीत और भक्ति के इस अद्वितीय समन्वय में श्रेया घोषाल की मधुर आवाज श्रोताओं को एक ध्यानात्मक यात्रा पर ले जाती है, जहाँ प्रभु श्रीराम के नाम का स्मरण आत्मा को शांति और ऊर्जा से भर देता है। यह प्रस्तुति न केवल मूल भजन के भाव को सहेजती है, बल्कि उसमें संवेदना और आधुनिकता की एक नई ताजगी भी जोड़ती है।

श्रद्धेय श्रेया घोषाल ने ‘राम भजन कर मन’ की अपनी प्रस्तुति को लेकर कहा कि यह भजन मेरे लिए सिर्फ एक संगीत रचना नहीं, बल्कि आत्मा की गहराइयों से जुड़ाव का माध्यम है। जब मैंने इस भजन को गाया, तो मुझे ऐसा महसूस हुआ मानो मैं प्रभु श्रीराम के चरणों में बैठी हूं। लता जी की आवाज में यह भजन पहले ही अमर हो चुका है, मैंने केवल उसी भक्ति भाव को अपनी श्रद्धा के साथ आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। मेरी आशा है कि यह प्रस्तुति श्रोताओं को आध्यात्मिक ऊर्जा और आंतरिक शांति प्रदान करेगी।

सारेगामा इंडिया लिमिटेड, जो कभी ‘द ग्रामोफोन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड’ के नाम से जानी जाती थी, आज भारतीय संगीत धरोहर का सबसे बड़ा और समृद्ध संग्रहालय बन चुकी है। आरपी-संजीव गोयनका ग्रुप की यह कंपनी न केवल पारंपरिक संगीत को संरक्षित कर रही है, बल्कि डिजिटल युग में नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और संगीत से जोड़ने का भी महत्वपूर्ण कार्य कर रही है।

श्रेया घोषाल की यह भावनात्मक अभिव्यक्ति उनके भक्ति भाव और संगीत के प्रति समर्पण को दर्शाती है, जो श्रोताओं को उनके सुरों के माध्यम से प्रभु श्रीराम से जोड़ने का कार्य करती है।

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