राज्य में पटना और राजगीर में जल्द ही साइबर फॉरेंसिक लैब (सीएफएल) की स्थापना होने जा रही है। इन दोनों शहरों में आगामी चार से छह महीने में सीएफएल पूरी तरह से काम करने लगेगा। इससे साइबर संबंधित मामलों में बरामद प्रदर्श के जांच की रफ्तार चार गुणा बढ़ जाएगी। इससे प्रदर्श की जांच में काफी तेजी आएगी। यह जानकारी एडीजी (सीआईडी) पारसनाथ ने बुधवार को पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में दी। उन्होंने कहा कि इन दोनों सीएफएल की स्थापना गुजरात के गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंस यूनिट (एनएफएसयू) के सहयोग से किया जा रहा है। इसके लिए संस्थान के साथ एक विशेष एमओयू (समझौता पत्र) पर हस्ताक्षर किया गया है।
एडीजी ने कहा कि एनएफसीयू की टीम बिहार में दोनों साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला की स्थापना में तकनीकी सहायता, कंस्लटेंसी सेवा, साइबर प्रयोगशाला में उपयोग होने वाले उपकरणों की तकनीकी विशिष्टता भी प्रदान करेंगे। इसके साथ ही यहां पहले से मौजूद फॉरेंसिक साइंस लैब के उन कर्मियों को प्रशिक्षण देंगे, जो साइबर फॉरेंसिक के अनुसंधान में लगे हुए हैं। दोनों यूनिट में कार्यरत छह कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा
उन्होंने कहा कि दोनों सीएफएल की स्थापना के लिए गृह विभाग के स्तर से सहमति मिल गई है। साथ ही 13 करोड़ 66 लाख 52 हजार रुपये की राशि मंजूर कर दी गई है। इससे साइबर मामलों की जांच में तेजी आएगी। एडीजी पारनाथ ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के प्रावधानों के तहत 7 साल या इससे अधिक की सजा वाले मामलों में ऑडियो-विजुअल साधनों को सबूत के तौर पर फॉरेंसिक सहायता लेना अनिवार्य है। इसके मद्देनजर सीएफएल की उपयोगिता और अनिवार्य अधिक हो जाती है।
लगातार बढ़ रहे साइबर अपराध
बिहार में साइबर अपराध की गतिविधि लगातार बढ़ रही है। विभिन्न आयामों के साइबर अपराध देखने को मिल रहे हैं, जिसमें डिजिटल अरेस्ट, ऑनलाइन ठगी, बैंक धोखाधड़ी, सोशल मीडिया हैकिंग, फिशिंग, फर्जी कस्टमर केयर कॉल, पहचान की चोरी समेत ऐसे अन्य मामले शामिल हैं। एडीजी ने बताया कि राज्य में 2022 में साइबर अपराध के 1606 मामले दर्ज किए गए थे। यह संख्या 2023 में 200 फीसदी बढ़कर 4801 हो गई। 2024 में इन अपराधों की संख्या बढ़कर 5 हजार 721 हो गई। इस वर्ष मई तक 3 हजार 258 साइबर से जुड़े अपराध सामने आ चुके हैं।