रोजाना लगभग 300 मरीजों का इलाज
परवलपुर प्रखंड में एक तरफ जहां महंगे अस्पताल और दवाइयों की कीमतें आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर एक डॉक्टर इंसानियत की सबसे बड़ी मिसाल पेश कर रहे हैं। एनएच-33 के किनारे स्थित एक साधारण झोपड़ी में पिछले 38 वर्षों से गरीबों और जरूरतमंदों का इलाज कर रहे डॉ. ओम प्रकाश आर्य लोगों के लिए सिर्फ चिकित्सक ही नहीं, बल्कि भरोसा और उम्मीद का दूसरा नाम बन गए हैं।
डॉ. आर्या ने अपने करियर की शुरुआत एक सरकारी चिकित्सक के रूप में की थी। लेकिन सरकारी सेवा के दौरान उन्होंने देखा कि गरीब मरीजों को अक्सर पैसे के अभाव में उचित इलाज नहीं मिल पाता है। इस पीड़ा ने उन्हें सरकारी नौकरी छोड़कर पूरी तरह समाज की सेवा में समर्पित होने की प्रेरणा दी।
उन्होंने पहले मात्र 25 पैसे में मरीजों को देखना शुरू किया और आज भी केवल 10 रुपये फीस लेते हैं। इतना ही नहीं, गरीब मरीजों के लिए इलाज पूरी तरह नि:शुल्क है। वे हमेशा ऐसी दवा लिखते हैं जो सस्ती हो और हर जगह उपलब्ध हो।
सुबह से ही उनकी झोपड़ी क्लीनिक में मरीजों की भीड़ लग जाती है। परवलपुर ही नहीं, बल्कि आसपास के कई पंचायतों और गांवों के लोग यहां इलाज के लिए आते हैं। मरीजों की सुविधा के लिए वे सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक, तथा रात 9 बजे से 11 बजे तक क्लीनिक चलाते हैं। अपने आराम और परिवार से पहले वे मरीजों की जिंदगी को प्राथमिकता देते हैं। उनका मानना है कि ह्लमरीज सबसे पहलेह्व।
क्लीनिक में न तो कोई चकाचौंध है और न आधुनिक सुविधाएं। फिर भी यहां के मरीज कहते हैं कि ह्लइलाज से ज्यादा डॉक्टर की नयत असर करती है।ह्व
कई ऐसे मरीज हैं, जिनका कहना है कि कठिन समय में डॉक्टर साहब ने ही उन्हें सहारा दिया और जीवन में वापस खड़े होने की ताकत दी। इलाज की गुणवत्ता और डॉक्टर साहब के मानवीय व्यवहार के कारण लोग पूरी आस्था के साथ यहां आते हैं।
डॉ. आर्या का मानना है कि ह्लमरीज मेरे लिए भगवान हैं, उनका इलाज करना ही मेरी पूजा है।ह्व वे त्यौहार, छुट्टी या व्यक्तिगत व्यस्तता से ऊपर उठकर मरीजों की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। पिछले 38 वर्षों में न थकान, न मौसम और न किसी परिस्थिति ने उनकी सेवा की राह रोकी।
जमींदार परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद डॉ. आर्य का जीवन बेहद सादगीपूर्ण है। वे कहते हैं ह्लखाने भर का पैसा मिल जाए काफी हैङ्घ भलाई करके ही इंसान बड़ा बनता है।ह्व जब स्वास्थ्य सेवाएं बाजारवाद और मुनाफाखोरी की होड़ में खोती हुई दिखाई देती हैं, ऐसे समय में परवलपुर की यह झोपड़ी मानवता का सबसे मजबूत स्तंभ बनकर उभरी है।
डॉ. ओम प्रकाश आर्य की 38 साल की अनवरत सेवा, 10 रुपये की मामूली फीस और गरीबों के लिए नि:शुल्क उपचार यह साबित करता है कि चिकित्सा सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि मानवता का धर्म है।
