नये रथ पर मौसीवाड़ी जायेंगे महाप्रभु जगन्नाथ

सरायकेला-खरसावां जिला में महाप्रभु जगन्नाथ के रथ यात्रा की तैयारी जोरों पर चल रही है। 27 जून को प्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ नये रथ पर सवार हो कर गुंडिचा मंदिर (मौसीबाड़ी) के लिये रवाना होंगे।
इस बार हरिभंजा की रथ यात्रा कई मायनों में खास होगी। हरिभंजा में प्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र व देवी सुभद्रा के साथ इस बार नये रथ की सवार हो कर गुंडिचा मंदिर (मौसी बाड़ी) पहुंचेंगे।
यहां रथ यात्रा की तैयारी जोरों पर चल रही है। छह पहिये वाले इस रथ में अलग अलग कलाकृतियां भी रेखांकित की जा रही है। महाप्रभु के रथ में इस बार सभी नई लकड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
लकड़ियों को चाईबासा के डिपो से मंगाया गया है। रथ के निर्माण के पश्चात इसकी रंगाई-पुताई की जायेगी। रथ में विभिन्न विग्रहों की प्रतिमूर्तियां उकेरी जायेगी। अगले सप्ताह के भीतर रथ का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा
हरिभंजा में महाप्रभु जगन्नाथ के रथ का निर्माण ओड़िशा के कारीगरों द्वारा पूरे विधि-विधान के साथ किया जा रहा है। हरिभंजा में अक्षय तृतीय पर विधिवत पूजा अर्चना कर कारीगरों द्वारा प्रभु जगन्नाथ के रथ का निर्माण कार्य शुरू किया गया है। रथ को आकर्षक रुप दिया जा रहा है। इसके लिए अलग से पुरी से कपड़ा मंगाया जाएगा।
जमीनदार विद्या विनोद सिंहदेव ने बताया कि हरिभंजा में प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा ढाई सौ साल से भी अधिक पुरानी है। पूरे उत्सव के साथ वार्षिक रथ यात्रा का आयोजन होता है।
इस दौरान सभी रश्मों को निभाया जाता है। उन्होंने बताया कि उनके पूर्वजों ने 17 वीं सदी में प्रभु जगन्नाथ के मंदिर की स्थापना कर पूजा अर्चना शुरू की थी। साल भर यहां चतुर्था मूर्ति प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा व सुदर्शन की पूजा होती है।
इस वर्ष प्रभु जगन्नाथ की स्नान यात्रा 11 जून को आयोजित की जायेगी। इसी दिन 108 कलश पानी प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन के प्रतिमाओं का महास्नान कराया जायेगा।
इसके ठीक 15 दिनों के बाद प्रभु जगन्नाथ का नेत्रोत्सव सह नव यौवन दर्शन होगा। 27 जून को प्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ नये रथ पर सवार हो कर गुंडिचा मंदिर (मौसीबाड़ी) के लिये रवाना होंगे।
रथ यात्रा के दिन रथ की प्रतिष्ठा की जायेगी। इसके पश्चात प्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र व देवी सुभद्रा के साथ रथ पर सवार हो कर गुंडिचा मंदिर के लिये प्रस्थान करेंगे।

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