काटे जायेंगे 80 हजार हरे-भरे वृक्ष

बनारस-कोलकाता ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए चतरा जिले में 80 हजार से अधिक पेड़ काटे जाएंगे। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इसके एवज में या फिर यह कहें कि उन पेड़ों से डेढ़ गुणा पौधे लगाने के लिए वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को 44.58 करोड़ रुपये की राशि भुगतान करेगा। प्रति हेक्टेयर 13 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान है।
जिले में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन के दो प्रमंडल हैं, जिसमें चतरा दक्षिणी और चतरा उत्तरी वन प्रमंडल आते हैं। सबसे अधिक जंगलों का नुकसान दक्षिणी वन प्रमंडल में हो रहा है। दक्षिणी वन प्रमंडल का 240.1553 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित होगी। जिसमें करीब 60 हजार पेड़ काटे जाएंगे।
इसी प्रकार उत्तरी वन प्रमंडल के अंतर्गत 102.8368 हेक्टेयर भूमि परियोजना के लिए अधिग्रहित की जाएगी। जिसमें करीब 20 हजार पेड़ काटे जाएंगे। पेड़ों की संख्या में वृद्धि संभव है। चूंकि 2023 में उसकी गिनती हुई थी। वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया जैसे ही पूरी होगी, वैसे ही एक फिर से पेड़ों की गिनती होगी। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन कार्यालय पुराने डाटा पर ही काम कर रहा है।
केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी यह परियोजना में रैयती भूमि अधिग्रहण की प्रकिया करीब-करीब अंतिम चरण में है। रैयतों के बीच सवा सौ करोड़ से अधिक का मुआवजा वितरण हो चुका है। यहां बताते चलें कि परियोजना के अंतर्गत 67 गांव चतरा जिले के आ रहे हैं। उसमें सर्वाधिक 28 गांव हंटरगंज, चतरा के 18, पत्थलगडा के दो और सिमरिया के 19 गांव शामिल हैं।
बनारस से कोलकाता की दूरी करीब 620 किलोमीटर है। बनारस-कोलकता ग्रीन एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के बनारस से प्रारंभ होते हुए चंदौली और फिर बिहार के कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद एवं गया तक आएगा। उसके बाद झारखंड के चतरा में प्रवेश करेगा। चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो होते हुए पश्चिम बंगाल के पुरूलिया, बांकुड़ा, पश्चिमी मेदिनीपुर, हुगली और हावड़ा को जोड़ते हुए कोलकाता तक पहुंचेगा। इनमें सबसे अधिक 84 किलोमीटर चतरा जिले में है।
बनारस-कोलकाता ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे में चतरा दक्षिणी और उत्तरी वन प्रमंडल की 342.9921 हेक्टेयर वन भूमि होगी हस्तांतरित होगी। जिसमें करीब 80 हजार पेड़ काटे जाएंगे। हालांकि, यह डाटा दो साल पहले है।
वर्तमान समय में उसकी संख्या में वृद्धि हुई होगी। लेकिन जब तक वन भूमि हस्तांतरित होगी, तो उस समय दोबारा पेड़ों की गिनती कराई जाएगी। पेड़ों के पातन के एवज में भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण प्रति हेक्टेयर 13 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देगी।

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