प्रधानमंत्री आवास योजना के सर्वेमें रिश्वतखोरी की खुली पोल

मोतीहारी से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को पक्के मकान देने के सरकारी प्रयासों के बीच भ्रष्टाचार और धांधली की गंभीर खबर सामने आई है। मेहसी प्रखंड के झिटकहिया पंचायत में आवास सहायक द्वारा लाभार्थियों से नाम जोड़ने के बदले पैसे मांगने का आॅडियो वायरल हो गया है। इस आॅडियो में आवास सहायक अभिषेक चंचल कथित तौर पर खुलेआम पैसे लेने और उन्हें सूची में शामिल करने की बात कर रहे हैं। वायरल हुए आॅडियो में आवास सहायक और पंचायत के एक व्यक्ति के बीच बातचीत दर्ज है। इसमें आवास सहायक कथित रूप से कह रहे हैं कि सबसे पैसा ले लो, आज आएंगे तो सबका नाम जोड़ देंगे।
जब दूसरी तरफ से व्यक्ति कहता है कि कुछ लोग बहुत गरीब हैं और पैसे नहीं दे सकते, तो आवास सहायक का जवाब आता है कि हजार-दो हजार के लिए कौन गरीब है? हटाओ सबका नाम, मेरा मोबाइल इन सब चीजों से भर गया है। जो पैसा दिया है, वह तुम रख लो, पहले तुम्हारा ही काम करेंगे।
आॅडियो में आगे जब व्यक्ति अपने एक 53-54 साल के बुजुर्ग रिश्तेदार के नाम जुड़वाने की बात करता है, तो आवास सहायक कथित रूप से कहते हैं कि माल ज्यादा देना पड़ेगा, तो उसका काम भी हो जाएगा। हालांकि इस वायरल आॅडियो की स्वतंत्र पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन सोशल मीडिया पर यह तेजी से वायरल हो रहा है और स्थानीय प्रशासन के लिए सवाल खड़े कर रहा है।
प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य गरीबों को बिना किसी भेदभाव के पक्के मकान उपलब्ध कराना है। लेकिन इस तरह की घटनाएं दिखाती हैं कि जमीनी स्तर पर कैसे भ्रष्टाचार योजना की सफलता में बाधा बन रहा है। अगर वायरल आॅडियो में की गई बातें सही हैं, तो यह दशार्ता है कि लाभार्थियों को उनके हक का घर पाने के लिए रिश्वत देनी पड़ रही है।
इस मामले को लेकर मेहसी प्रखंड विकास पदाधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका सरकारी मोबाइल नंबर लगातार बंद मिला। इसके बाद आवास पर्यवेक्षक को भी फोन किया गया, लेकिन कई बार कॉल करने के बावजूद उन्होंने फोन नहीं उठाया। अधिकारियों की इस चुप्पी ने मामले को और अधिक संदिग्ध बना दिया है।

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