मधेपुरा के सिंहेश्वर स्थान में एक माह तक चलने वाले महाशिवरात्रि मेले का शुभारंभ बुधवार को हुआ। जिला पदाधिकारी तरनजोत सिंह, प्रखंड प्रमुख इस्तियाक आलम और नगर परिषद अध्यक्ष पूनम देवी ने कुंवारी कन्याओं के साथ विधिवत रूप से मेले का उद्घाटन किया। सिंहेश्वर में हर साल महाशिवरात्रि मेले का आयोजन होता है, जिसमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल से हजारों श्रद्धालु आते हैं। पूजा-अर्चना के साथ वे मेले में लगे विभिन्न मनोरंजन साधनों का भी आनंद लेते हैं। सिंहेश्वर मेला समिति और जिला प्रशासन ने इस बार श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए विशेष तैयारियां की हैं, जिससे उन्हें एक सुखद धार्मिक यात्रा का अनुभव मिल सके। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी प्रगति यात्रा के दौरान बाबा सिंहेश्वर नाथ मंदिर के नवीनीकरण और सौंदर्यीकरण के लिए 90 करोड़ रुपये की योजना की घोषणा की थी, जिसे बिहार सरकार की मंत्रिपरिषद विभाग से स्वीकृति मिल चुकी है। इस योजना के तहत भक्तों के लिए कई नई सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
बुधवार को दिनभर जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। शाम को बाबा भोलेनाथ की भव्य बारात निकाली जाएगी, जिसमें भूत-प्रेत और शिवगणों के रूप में श्रद्धालु शामिल हुए। यह बारात मंदिर परिसर से निकलकर मां पार्वती मंदिर चौठारी तक पहुंची, जहां बाबा शिव और मां पार्वती की प्रतीकात्मक झांकी स्थापित की गई।
इस वर्ष मेले में जलपरी शो, चार धाम यात्रा, थिएटर, मछली घर, ड्रैगन झूला, रेंजर झूला और जादूगर के कार्यक्रम जैसे मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं।श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मंदिर परिसर और गर्भगृह में CCTV कैमरों से निगरानी की जा रही है। इसके अलावा, मेले में 160 मजिस्ट्रेट, 160 पुलिस पदाधिकारी और 500 से अधिक पुलिस बल की तैनाती की गई है, ताकि विधि-व्यवस्था बनी रहे और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। यह भव्य मेला आस्था, भक्ति और मनोरंजन का अनूठा संगम है, जहां श्रद्धालु धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मनोरंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद उठा रहे हैं। सिंहेश्वर स्थान में उमड़ी भारी भीड़ इस मेले की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाती है।
सिंहेश्वर नाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन धार्मिक स्थल है, जिसे श्रद्धालुओं की अपार आस्था प्राप्त है। यह मंदिर अपनी ऐतिहासिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यह स्थान महर्षि श्रृंगी की तपोभूमि था, जहां मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ संपन्न हुआ था, जिससे यह क्षेत्र सिंहेश्वर स्थान के रूप में विख्यात हुआ। सिंहेश्वर नाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग की उत्पत्ति को लेकर कई किंवदंतियां प्रचलित हैं।
प्राचीनकाल में यह क्षेत्र घने जंगलों से घिरा था और एक कुंवारी कामधेनु गाय प्रतिदिन एक निश्चित स्थान पर खड़ी होकर अपने थनों से अपने आप दूध गिराने लगती थी, जिसे देखकर ग्वालों ने उस स्थान की खुदाई की तो वहां शिवलिंग प्रकट हुआ। मंदिर की संरचना को लेकर मान्यता है कि यह किसी पहाड़ के अग्रभाग पर स्थित है, जिसे एक बार मरम्मत कार्य के दौरान अभियंताओं द्वारा जांचने पर पाया गया कि शिवलिंग किसी ठोस चट्टान से जुड़ा हुआ है। धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक महत्व के कारण सिंहेश्वर नाथ मंदिर महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष रूप से श्रद्धालुओं से भर जाता है।