महावीर मंदिर न्यास के सचिव और पूर्व IPS आचार्य किशोर कुणाल के निधन से प्रदेश में शोक की लहर है।

किशोर कुणाल के पैतृक आवास बरूराज कोठियां में उनके छोटे भाई नंदकुमार शाही अपने पत्नी के साथ रहते हैं। वहीं, किशोर कुणाल के एकलौते पुत्र शायन कुणाल हैं। बहु सांभवि चौधरी समस्तीपुर की सांसद हैं।किशोर कुणाल की मौत की खबर पर गांव में कोहराम मच गया। ग्रामीण उनके घर पहुँचने लगे। आनन- फानन में घर में ताला बंद कर उनके भाई व भाभी पटना के लिए निकल गए।मौत की खबर पर गांव में सन्नाटा पसर गया। ग्रामीण के चेहरे मायूस हो गई। चारों तरफ उनका गुणगान व प्रशंसा होने लगी। उनके पैतृक आवास वाली टोले में तकरीबन दो दर्जन घरों में चूल्हा नहीं जला।ग्रामीण नरेश प्रसाद शाही (82) बताते हैं कि किशोर कुणाल बचपन से ही मिलनसार व धार्मिक कार्यों में रुचि रखते थे। आईपीएस बनने के बाद भी वह घर को न भूले। प्रत्येक सावनी पूजा में वह घर जाकर पूजा अर्चना करते थे। उनके निधन से सभी दुखी व मर्माहत हैं।बहुचर्चित आइपीएस अधिकारी और पटना महावीर मंदिर के सचिव आचार्य किशोर कुणाल के द्वारा लिखी पुस्तक ‘दमन तक्षकों का’ इन दिनों काफी चर्चा में रहा। किशोर कुणाल की इस पुस्तक में आइपीएस अधिकारी रहते हुए बिहार से लेकर गुजरात तक जो -जो महत्वपूर्ण कार्य किए, उनका जिक्र है।पुस्तक में बिहार में हुए बॉबी हत्याकांड से लेकर गुजरात में आसाराम बापू के विवाद पर भी कई खुलासे किए गए। अपनी पुस्तक में आचार्य किशोर कुणाल ने लिखा है कि किस तरह बॉबी हत्याकांड में उन्होंने जांच की और बाद में किस तरह उस जांच को सीबीआई को सौंप दिया गया।इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री से जो उनकी बातचीत हुई उसका भी जिक्र पुस्तक में किया गया है। गुजरात में नवनिर्माण आंदोलन के वक्त पुलिसकर्मियों को कैसे मुफ्त में खाने पीने वाला मफतलाल कहा जाता था, इस बात का भी जिक्र किशोर कुणाल ने अपनी पुस्तक में किया है।साथ ही पटना के एसएसपी रहते हुए उन्होंने कैसे अपराध रोकने के लिए अपराधियों में डर पैदा किया इसका भी जिक्र किया गया है।

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