लगभग 300 मिलियन वर्ष पूर्व में था इसका अस्तित्व
जल के साथ थल में भी कई वर्षों तक रह सकती है जिंदा
राजमहल प्रखंड के सिरसी गांव के एक निजी तालाब में जाल में एक अद्भुत मछली फंस गई।
सिरसी निवासी मो. सद्दाम ने बताया कि उसने शौक के तौर पर घर के पास स्थित निजी तालाब में मछली पकड़ने के लिए जाल डाला तो उसमें दूसरी मछलियों के साथ-साथ एक अद्भुत मछली दिखी।
आसपास के लोग उसे खाने के लिए मांगने लगे। लेकिन, उसने उससे पहले कभी उस तरह की मछली नहीं देखी थी। ऐसे में उसने किसी को नहीं दिया और उसे घर ले आया।
फुलवरिया निवासी निजी विद्यालय के शिक्षक मो. सोहराब शेख ने बताया कि गूगल पर इसकी छानबीन की गई तो पाया गया कि यह लंगफिश प्रजाति की मछली है, जो गोंडवाना लैंडस् में पाई जाती थी।
भारत गोंडवाना लैंड का एक हिस्सा था, जो लगभग 300 मिलियन वर्ष पूर्व अस्तित्व में था। भारत के साथ-साथ दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका जैसे महाद्वीपीय ब्लाक इस गोंडवाना लैंड का प्रमुख भाग था।
ज्वालामुखी उद्गार और अन्य प्राकृतिक घटनाओं के उपरांत यह भूमि दब गई और अलग-अलग महाद्वीप में परिवर्तित हो गए।
उसने बताया कि यह मछली आस्ट्रेलियन लंगफिश प्रजाति की प्रतीत हो रही है, जिसके पूरे शरीर पर कांटा रूपी शल्क है तथा मुंह नीचे की तरफ है।
मूलत: यह मछली दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका या आस्ट्रेलिया में पाई जाती है। इसकी विशेषता है कि यह जल के साथ-साथ थल में बिना पानी के कई सालों तक जिंदा रह सकती है।
इसमें सांस लेने के लिए फेफड़ा भी है, जो इसे स्थल में सांस लेने योग्य बनाती है तथा गलफड़ा यानी गिल्स के माध्यम से पानी में सांस लेने में सक्षम बनाती है।
मछली को लेकर मछली धारक मो. सद्दाम काफी उहापोह में है कि आखिर इस मछली का वह क्या करें। मछली के चलते दिनभर घर में उसे देखने के लिए आने वालों की भीड़ से वह परेशान हो गया है।