मुजफ्फरपुर जंक्शन पर पार्सल पैकेज से 280 बोतल अंग्रेजी शराब बरामद मामले में 36 घंटे बाद भी रेल पुलिस की हाथ खाली है।
किस लीज पार्सल वैन से शराब से शराब भेजी गई, इसका पता करने में पुलिस के साथ रेल कर्मियों के पसीने भी छूट रहे हैं। इसके चलते रेल पुलिस के साथ रेल कर्मी भी उलझ गए हैं। इधर सीसी कैमरे खराब होने के चलते यात्रियों की सुरक्षा के साथ भारी खिलवाड़ हो रहा। आपराधिक घटनाओं के उद्भेदन करने में भी देरी हो रही। हालांकि यह कोई मुजफ्फरपुर स्टेशन का ही मामला नहीं, देश के बहुत सारे रेलवे स्टेशनों पर भी कमोवेश यही स्थिती बनी हुई है। इधर ट्रेनों के कोच में लगे सीसी कैमरे भी सफेद हाथी बना हुआ है।
चोरी, छितनई की घटना होने पर पुलिस को कोच में लगे सीसी कैमरे की जानकारी नहीं मिल पा रही। ट्रेन में हुई एक चोरी की वारदात का पता लगाने के लिए मुजफ्फरपुर रेल पुलिस कोलकाता गई थी।
वहां के आरपीएफ ने फुटेज देने से इंकार कर दिया। मजे की बात यह कि पुलिस को भी ट्रेनों के कोच में लगे सीसी कैमरे की फुटेज नहीं मिल पा रही, ऐसे में असली अपराधी तक पहुंचने में पुलिस को परेशानी हो रही है।
हालांकि वैज्ञानिक अनुसंधान से पुलिस कई मामले का उद्भेदन भी की है। लेकिन स्टेशन और ट्रेनों के कोच में लगे सीसी कैमरे का फुटेज नहीं मिलना यात्रियों की सुरक्षा को लेकर खिलवाड़ के साथ रेलवे के अधिकारियों पर एब बड़ा सवालिया निशान लग रहा है।
शराब पकड़ाने के मामले में रेल अधिकारियों के बीच हड़कंप
जंक्शन पर अंग्रेजी शराब पकड़ाने के मामले में पूर्व मध्य रेल से लेकर सोनपुर रेल मंडल के उच्चाधिकारों में हड़कंप व्याप्त है।
कमर्शियल, आरपीएफ से लेकर सभी विभागों के अधिकारियों के आदेश अलग-अलग जांच शुरू कर दी है। इधर आरपीएफ द्वारा पता लगाया जा रहा कि किस ट्रेन की लीज वैन से अंग्रेजी शराब भेजा गया था।
उधर पार्सल विभाग द्वारा पार्सल पैकेट का पता लगाया जा रहा है कि किस समय किसकी ड्यूटी प्लेटफार्म पर थी और किस ट्रेन की लीज वैन से उतारा गया है।
लीज पार्सल वैन के पैकेजों पर भेजने वाले,-पाने वाले का पूरा पता अंकित नही रहता है। लेकिन पार्सल से भेज जो भी माल जाता है, उन सभी पर नाम व पते सटा रहता है।
नाम, पते वाले पैकेज को खोजना काफी आसान होता है, लेकिन बिना नाम-पते के पार्सल पैकेज के बारे में पता लगाना काफी मुश्किल होता है।
रविवार को जंक्शन पर पार्सल पैकेज में पकड़ी गई 280 बोतल अंग्रेजी शराब के मामले में भी नाम, पता नहीं होने पर इसका पता लगाना पुलिस के चुनौती का सबब है।
रेलवे की ऐसी व्यवस्था के कारण लीज वैन से लगातार अपत्तिजनक सामान आ रहे हैं। एक साल पहले भी इसी तरह से बड़ा पार्सल पैकेज से भारी मात्रा में शराब पकड़ी गई थी।
इसमें रिसिवर को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। उसमें कुछ और तस्करों का भी नाम आया था, लेकिन उन तस्करों पर पुलिस की ओर से क्या कुछ कार्रवाई की गई, इसका अभी तक पता नहीं चल सका है।