बिहार की शिक्षा और राजनीति पर दी नसीहतें
धारावाहिक महाभारत में भीष्म पितामह व शक्तिमान का किरदार निभाने वाले अभिनेता मुकेश खन्ना सोमवार को समस्तीपुर पहुंचे। एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने बिहार की शिक्षा और राजनीति पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कभी शिक्षा का गढ़ रहा बिहार आज अपने मूल्यों से भटक गया है।
उन्होंने कहा कि नालंदा जैसी विश्वविख्यात संस्था वाले राज्य में अब परीक्षा के दौरान खिड़कियों से नकल कराते अभिभावक नजर आते हैं, जो बेहद शर्मनाक है।
श्री खन्ना ने बताया कि हाल के दिनों में उन्होंने बिहार के कई स्कूलों का उद्घाटन किया है। इस दौरान उन्होंने शिक्षा को सबसे बड़ा दान बताते हुए कहा कि अगर जितने मंदिर खोले जाते हैं, उतने स्कूल भी खोले जाएं, तो देश की तस्वीर बदल सकती है। राज्य की राजनीतिक स्थिति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार आज भी लालू और आलू से ऊपर नहीं उठ पाया है। सड़कें नहीं बनीं, विकास ठप है।
उन्होंने याद किया कि एक बार लालू यादव ने बिहार की सड़कों की तुलना हेमा मालिनी के गालों से की थी, जो उन्हें अनुचित लगा। मुकेश खन्ना ने कहा कि बिहार में हर घर में कट्टा है। जनता को भी अब समझदारी दिखानी होगी और सही नेताओं का चुनाव करना होगा। उन्होंने राजनीति को आम जनजीवन पर हावी बताते हुए कहा कि लोगों को पहले खुद सिविलाइज होना होगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि मेरा देश प्रगति पर है, तो फिर बिहार प्रगति पर क्यों नहीं है? यहां ट्रेनों में लोग लटक-लटककर सफर करते हैं। 50 और ट्रेनें चलाई जाएं, बुलेट ट्रेन जैसी योजनाएं बंद की जाएं जो आम जनता के काम की नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि देश की राजनीति ऐसी हो गई है कि जो प्रधानमंत्री बनता है, उसे पूरे देश का राजा बना दिया जाता है। नहीं तो कोई कोलकाता से कहता है कि हम उसे यहां नहीं आने देंगे। देश किसी के बाप का नहीं है।
मुकेश खन्ना ने आगे सरदार वल्लभभाई पटेल का जिक्र करते हुए कहा कि पटेल जी ने रियासतों को जोड़कर राष्ट्र का निर्माण किया था, लेकिन आज फिर से रियासतें बन रही हैं।
उन्होंने कहा कि केरल अलग है, बिहार अलग है, पंजाब अलग हो गया है। मुकेश खन्ना ने कहा कि अकेले मोदी जी क्या कर सकते हैं? उनका प्रभाव वहीं तक सीमित है, जहां उनकी खुद की सरकार है। इसलिए लोगों को चाहिए कि विकास कार्यों के लिए केंद्र और राज्य दोनों जगह एक ही सरकार को चुना जाए, नहीं तो केजरीवाल जैसे हालात होंगे। पांच साल सिर्फ झगड़ा, काम कुछ नहीं।