देश में बना एकलौता बिहारका डिजिटल बापू टावर

टच स्क्रीन पर खुद ले सकेंगे जानकारी
महात्मा गांधी के घर का दिया गया है रूप

राजधानी पटना के बीचों-बीच बना बापू टावर आज न सिर्फ पटना बल्कि पूरे भारत के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। इस आधुनिक युग में पूरी तरह से डिजिटल युक्त है, जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से जुडी लगभग सारी घटनाएं और जानकारियां तस्वीर, म्यूरल्सकट आउट, मेनीक्यून और डिजिटल वीडियो के जरिये दिखलाई गई है, जिससे लोग प्रेरणा ले सकेंगे। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसे उन्होंने महात्मा गांधी के 150 वें जयंती पर 2 अक्टूबर 2024 को लोकार्पण किया था।
बापू टावर 129 करोड़ की लागत से बना है। यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित देश में इस तरह का यह पहला टावर है। 7 एकड़ में फैले 6 मंजिल और 120 फीट उंचाई वाला टावर पूरी तरह डिजिटलयुक्त है। 7 एकड़ में एक एकड़ में यह टावर है, जबकि 6 एकड़ में इसका कैंपस है। इस कैंपस में पार्किंग की पूरी व्यवस्था है, जिसमें एक बार में 135 से 150 दो पहिया वाहन, 60 से 70 कार और 6 बस लगने की जगह है। कैंपस में प्रवेश करने के लिए एक टिकट काउंटर बनाया गया है, जिसमें एक न्यूनतम राशि निर्धारित की गई है। दिव्यांगों को घुमने के लिए एक अलग व्यवस्था की गई है।
बापू टावर मुख्य रूप से दो हिस्सों में बंटा हुआ है। एक हिस्सा आयताकार है, जबकि दूसरा हिस्सा गोलाकार है। आयताकार हिस्से में तीन एग्जिबिशन गैलरी, आॅडिटोरियम, वेटिंग रूम, एक दुकान और कैंटीन हैं। चार लिफ्ट बनाए गए हैं, जिसके द्वारा नीचे से ऊपर जाया जाता है। 120 फीट ऊंचे गोलाकार भवन में ऊपर जाने के लिए पांच रैंप बनाए गए हैं। इस भवन में तस्वीर, म्यूरल्सकट आउट, मेनीक्यून और डिजिटल वीडियो के द्वारा महात्मा गांधी से जुड़ी सारी जानकारियों को प्रदर्शित किया गया है, जिसे देखने के बाद लोग प्रेरणा ले सकेंगे। इसके अलावा कट आउट भी है। सबसे कमाल इसमें लगे स्क्रीन प्रोजेक्टर का है, जिसके द्वारा महात्मा गांधी से जुड़ी हर उन बातों की जानकारी दी जा रही है। गोलाकार भवन में 60 व्यक्तियों की क्षमता वाले आॅडिटेंशन हॉल भी बनाया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महात्मा गांधी के 150 वें जयंती पर बापू टावर के रूप में बिहार वासियों के लिए एक बड़ी सौगात देने जा रहे हैं।
इस संबंध में भवन निर्माण विभाग के सचिव और आईएएस अधिकारी कुमार रवि ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह निर्णय लिया था कि एक ऐसा टावर बनाया जायेगा जो गांधी जी के विचारों को उनके जीवन सिद्धांतों को बिहार में उनके योगदान की चर्चा करेगा। इसके डिजाईन की दो तीन खूबसूरती है।
पहला यह है कि आपको लगेगा कि यह जमीन के नीचे से निकल रहा है और धीरे धीरे बड़ा होते जा रहा है। इसके अन्दर जो रैंप है, उसमें म्यूजियम है। इस तरह से इसकी आकृति बनाई गई है।
भवन निर्माण विभाग के सचिव और आईएएस अधिकारी कुमार रवि ने बताया कि बापू टावर के शंकानुमा आकृति के भवन पर तांबा लगाया गया है। तांबा सांस्कृतिक रूप से शुद्ध माना जाता है और इसकी लाइफ बहुत बड़ी है। इसका यह भी फायदा है कि इसका रंग वातावरण के साथ अभिक्रिया कर इसका रंग भी बदलता है। इसको देखते हुए इसके आवरण पर लगभग 40 टन तांबा को लगाया गया है। यह दिखाएगा कि महात्मा गाँधी के विचारों की की चिरंतता इतनी ज्यादा है और कई हजार वर्षों तक उनके विचार, उनके सिद्धांत और मूल्य हमेशा प्रासंगिक रहेंगे। दूसरी बात यह है कि इसका रंग और भी अधिक बदलेगा, आकरशक होगा, प्रासंगिक होगा, लेकिन तांबे का मूल स्वरुप नहीं बदलेगा। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि यह दिखाता है कि महात्मा गाँधी का मूल स्वरुप पूरे मानवता के लिए परिवर्तित नहीं होगा, लेकिन समय के साथ परिवेश में जो आधुनिकता आती है, उसे भी यह दिखाएगा।
महात्मा गाँधी को लेकर म्यूजियम बनाया गया है, इसको डिजिटल के साथ साथ तस्वीर, म्यूरल्सकट आउट, मेनीक्यून और डिजिटल वीडियो के माध्यम से दिखलाया गया है, जिसको देखने के बाद लोग आसानी से उनके बारे में जान और समझ पायेंगे या अपने मन मष्तिष्क में उतार पायेंगे। यह न सिर्फ में बल्कि देश का पहला और अनूठा म्यूजियम है।
बापू टावर की अवधारणा यह है कि इसे बच्चों को भी आसानी से समझ में आ सके। रिसर्च करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह ध्यान रखा गया है कि उन्हें महात्मा गाँधी के संबंध में समग्र जानकारी तो मिले ही, लेकिन यह जानकारी किस स्रोत से उन्हें मिल रही है, इस बात की भी जानकारी उन्हें रहे। ्रल्ल सारी बातों का बखूबी ख्याल रखा गया है। उनके लिए महात्मा गाँधी के भाषण, उनकी जीवन से जुडी हर घटनाओं से संबंधित जानकारियां, उनके जीवन की बिहार से जुडी सभी तरह की जानकारियों को इस तरह से दशार्या गया है कि उसके मूल स्रोतों को भी डिजिटल के माध्यम से रखा गया है ताकि वह ज्यादा से ज्यादा जानकारियां इकट्ठा कर सकें।
इस संबंध में जानकरी देते हुए बापू टावर के डायरेक्टर विनय कुमार ने बताया कि 120 फीट ऊंचे गोलाकार भवन में ऊपर जाने के लिए पांच रैंप बनाए गए हैं। इस भवन में तस्वीर, म्यूरल्सकट आउट, मेनीक्यून और डिजिटल वीडियो के द्वारा महात्मा गांधी से जुड़ी सारी जानकारियों को प्रदर्शित किया गया है, जिसमें डिजिटल टच स्क्रीन भी आकर्षण का केंद्र है। रैंप पर तस्वीरों और मूर्तियों के साथ-साथ लिखित रूप से जानकारी देने वाली टच स्क्रीन लगा हुआ है, जसके माध्यम से कोई भी उस तस्वीर या वीडियो से संबंधित लिखित जानकारियों को पढ़ सकता है। यह हिंदी और अंगेजी दोनों में उपलब्ध है।
महात्मा गाँधी से जुड़ी वह बातें, जो पोरबंदर में उनके साथ घटित हुई, उससे जुड़ी कई कहानियों को भी दिखलाया गया है। इन कहानियों में भी तस्वीर, म्यूरल्सकट आउट, मेनीक्यून और डिजिटल वीडियो का प्रयोग किया गया है। इसमें खास बात यह है कि उन तस्वीरों, म्यूरल्सकट आउट, मेनीक्यून और डिजिटल वीडियो का बैकग्राउंड उनके घर की तरह दिखता है, जो हरे रंग का है।
बापू टावर में वक सभागार भी है जिसका उपयोग आम लोग अपने निजी कार्यक्रम को करने के लिए आरक्षित कर सकते हैं। इस सभागार में 160 सीट हैं। इस सभागार में सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जा सकते हैं। इसमें सामाजिक और आर्थिक मुद्दों के कार्यक्रम भी किये जा सकते हैं। इसमें राजनीतिक कार्यक्रम करने की मनाही है। इसको आरक्षित करने के लिए एक शुल्क का निर्धारण किया गया है , जिसे अदा करने के बाद सभागार को आरक्षित किया जा सकता है।

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