शिशु रोग विशेषज्ञों का पटना में हुआ महाजुटान

पटना में दो दिवसीय पेटीकोन 2025 का आयोजन किया गया, जिसमें देश-विदेश से बड़े-बड़े शिशु रोग विशेषज्ञ शामिल हुए। इस कार्यक्रम में शिशु रोग विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा की कि बच्चों में जो बड़ी और घातक बीमारियाँ हो रही हैं, उससे कैसे निजात पाई जाय। उनके इलाज के लिए कौन कौन से अत्याधुनिक उपकरण हैं,जिससे उनका इलाज कराया जा सके।
इस संबंध में जानकारी देते हुए डॉ पी पी मिश्रा ने बताया कि पटना के मौर्या होटल में आयोजित इस दो दिवसीय अधिवेशन में मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और हैदराबाद सहित अन्य जगहों से डॉक्टर आये हुए हैं। एक सुखद वातावरण में यह अधिवेशन हो रहा है। यह हम चिकित्सकों और जितने हमारे जूनियर डॉक्टर इसमें शामिल हुए हैं, उनके लिए भी बहुत ही अच्छा समय है। बच्चों में हो रही गंभीर बीमारियों और उनके निराकरण की बातें यहां पर की जाएगी कि कैसे बेहतर से बेहतर उनका इलाज किया जा सके। गंभीर बिमारी वाले बच्चों के लिए बेहतर व्यवस्थाएं कैसे की जाए, उन्हें क्या और कैसे फायदा मिलेगा इन सारी बातों पर चर्चा करने के बाद समस्या के समाधान के रास्ते निकाले जाएंगे।
डॉ वसंत खलटकर ने बताया कि इंडियन एकेडमी आॅफ पीडियाट्रिक एक बहुत बड़ा संगठन है, जिसमें लगभग 47 हजार सदस्य हैं। इस संगठन ने एक बीड़ा उठाया है- बाय-बाय एनीमिया। इसके तहत हमलोग गंभीर बिमारी अनीमिया से जूझ रहे बच्चों के इलाज के लिए एक बस तैयार किया है। उस बस में दो टेक्नीशियन, दो डॉक्टर,एक चालक और एक हेल्पर रहता है। हम लोग गांव-गांव बस लेकर जा रहे हैं। वहां पर सबसे पहले हम लोग उसका हेल्थ चेकअप करते हैं। बच्चों का हीमोग्लोबिन कम होने पर उनको दवाई दी जाती है। उनको कीटनाशक दवा देते हैं और फिर उनका 3 महीने बाद हेल्थ चेकअप किया है। अब तक हमलोगों ने लगभग 30हजार बच्चों का टेस्ट लिया है जिसमें 60% बच्चों का हीमोग्लोबिन कम है यानी वह एनीमिया से ग्रसित हैं। बस तेलंगाना से महाराष्ट्र, महाराष्ट्र से कर्नाटक, कर्नाटक से अभी आंध्र प्रदेश में गई है। इसके बाद बस केरल और फिर नॉर्थ टू साउथ, कन्याकुमारी और मुंबई से कोलकाता और फिर बिहार के छोटे-छोटे गांव तक हम पहुंचेंगे।
डॉ वसंत खलटकर ने बताया कि हम लोगों ने दो फिल्म बनाई। एक दिशा और दूसरा यूटर्न। दिशा में आजकल जो बच्चे ड्रग्स से ग्रसित हैं, उन्हें ड्रग्स से कैसे बचाया जाय इसको लेकर यह फिल्म बनी हैं। इस फिल्म का उद्देश्य लोगों को जागरूकता करना भी है। इसमें यह भी दिखलाया गया है कि बच्चों के माता-पिता को क्या करना चाहिए। आज बच्चे मोटापा से ग्रसित हैं, तो उनको मोटापे से कैसे बचाया जाय इसपर भी बात होगी। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में हमारी जानकारियों का आदान-प्रदान है। हमलोग अपनी बात एक दुसरे से साझा करेंगे। यह जानकरी बिहार के डॉक्टरों को मिलेगा तो बिहार में बच्चों का बेहतर से बेहतर इलाज हो पायेगा। आजकल बच्चों में हाइपरटेंशन बीमारियां हैं। प्राइमरी हेल्थ लेवल के डॉक्टर जिनको नॉलेज नहीं रहता उनको हम ट्रेनिंग देने की कोशिश करेंगे ताकि बच्चों का बेहतर इलाज किया जा सके।

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