जालसाजों के मायाजाल में ऐसे फंसे बेरोजगार

रेलवे में फर्जी बहाली की जांच में रोज चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है। जीआरपी और रेलवे की क्राइम ब्रांच को देश में फैले जालसाजों के रैकेट के साथ उनके एजेंट की भी जानकारी मिल गई है।

जांच टीम ने पाया कि फर्जी बहाली में एक-एक चीज को सही दिखाने का प्रयास किया गया। पूरी प्रक्रिया को वास्तविक बहाली की तरह पूरा किया गया।

  • प्रशिक्षण के लिए जारी पत्र में रेल मंत्रालय के पदाधिकारी के फर्जी दस्तखत से लेकर मुहर का उपयोग किया जाता था।
  • विदित हो कि रेलवे में नौकरी होने के बाद उसका सारा ब्योरा रेलवे इंप्लाई सेल्फ सर्विस (आरइएसएस) में रहता है।इसमें कर्मचारियों की ज्वाइंनिंग से लेकर रिटायरमेंट तक का पूरा ब्योरा रहता है।
  • जांच में यह बात सामने आई कि फर्जी भर्ती वाले जालसाजों ने आरइएसएस की भी फर्जी वेबसाइट बना ली थी।

ट्रेनिंग पूरा करने के बाद आरइएसएस की फर्जी वेबसाइट पर पूरा ब्योरा लिखकर चढ़ा देते थे। मोबाइल पर लिंक भेजकर शिकार बनाए गए अभ्यर्थियों को इस बात का अहसास करा देता था कि रेलवे में पक्की नौकरी लग गई। ऑफिस के पास फार्म भरवा कर ट्रेनिंग के लिए छपरा के अवतार नगर और मोतिहारी के भटहां में भेजते थे।अवतार नगर में ग्रुप डी, कॉमर्शियल क्लर्क सहित अन्य पद तथा मोतिहारी के भटहां में आरपीएफ की ट्रेनिंग देता था। पुलिस सूत्रों के अनुसार दीपक तिवारी, चंदन कुमार उर्फ जेपी राय, प्रिंस यादव, पप्पू सिंह और सक्षम श्रीवास्तव इस फर्जी भर्ती की मॉनिटरिंग करता था। । इन सभी के खिलाफ कुर्की जब्ती के लिए कोर्ट को पत्र दिया गया है।सक्षम श्रीवास्तव एनसीसी का छात्र रह चुका है, इसलिए वह आरपीएफ की ट्रेनिंग देता था। सूत्रों के अनुसार बाहर से आने वाले अभ्यर्थियों को पहले रेलवे का आइकार्ड बना देता था और सोनपुर, मोतिहारी में उस आइकार्ड के आधार पर मकान मालिक किराए पर कमरा दे देते थे।मकान मालिक को लगता था कि इन लोगों को रेलवे में नौकरी मिली है और यहां रहकर ट्रेनिंग करेंगे। वहां कमरा लेने के बाद लोगों को फर्जी तरीके से ट्रेनिंग कराया जाता था।

डीआरएम ऑफिस के आसपास सक्रिय रहता था जालसाज

जेल बंद दीपक तिवारी से पूछताछ के आधार पर रेलवे क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर चंदन कुमार के सहयोग से आगे बढ़ रही जांच में सोनपुर रेल थानाध्यक्ष धर्मेन्द्र को सोनपुर और समस्तीपुर डीआरएम ऑफिस के कुछ रेल कर्मियों की संलिप्तता जालसाजों से होने का पता चला है। इस पर गहन मंथन चल रहा है।जेल में बंद बदमाशों के स्वीकारोक्ति बयान पर जांच की गई तो पता चला कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड तथा अन्य राज्यों से पुलिस वेरिफिकेशन कराया जाता था।फिर डीआरएम ऑफिस के पते पर संबंधित इलाके के एसपी कार्यालय से मंगवा लिया जाता था। जालसाज अभ्यर्थी को वहां बुलाकर लेटर रिसीव कराता था कि, तुम्हारा पुलिस वेरिफिकेशन भी आ गया।उसके बाद ट्रेनिंग के लिए भेजता था। खुफिया सूत्रों के अनुसार जीवधारा में रंजन पांडेय नाम का व्यक्ति चकिया, मोतिहारी, जीवधारा आदि जगहों पर समपार फाटक के पास तो कभी स्टेशन पर ट्रेनिंग दिलवाता था। इसके अलावा अवतार नगर, सोनपुर, लखमिनिया स्टेशन पर भी ट्रेनिंग दिलवाता था।

पटना के एक होटल में अभ्यर्थियों से होती थी डीलिंग

फर्जी भर्ती रैकेट से जुड़े जालसाज पटना के कृष्णा मंदिर के पीछे स्थित एक होटल में अभ्यर्थियों को लेकर आता था। ठहराता भी वहीं था। सभी लोगों से पैसों की वहीं डिलिंग कर सभी अलग-अलग जालसाजों के हवाले कर दिया जाता था। फेक मेलर एप से लिंक पहले फंसाता, उसके बाद पैसों की ठगी करता था। , मुंबई, कोलकाता, चेन्नई आदि जगहों से भेजे गए अभ्यर्थियों का फार्म भराने के बाद उसको विश्वास में लेने के लिए संबंधित इलाके के रेलवे मुख्यालय और डीआरएम मेल-आइडी का कॉपी कर फेक मेलर एप से उसको लिंक भेज देता था।ताकि अभ्यर्थियों को फार्म भरने के साथ ही विश्वास हो जाए कि संबंधित रेल मुख्यालय और डीआरएम कार्यालय से उसका मेल आ गया। उसके बाद बुलाकर पैसों की डील कर सात से 15 लाख रुपये ठगी शिकार बना लेता था। सोनपुर थाना कांड संख्या में फर्जी भर्ती हुए सौम्य संतो महंतो देवाशीष बारिक साहित दीपक तिवारी, सक्षम श्रीवास्तव, भूषण कुमार और प्वाइंट्समैन संजय कुमार प्रसाद का नाम शामिल है।

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