बिहार की बेटी और अमेरिका की मशहूर जज सबिता सिंह जब 21 साल बाद अपने पैतृक गांव मुकरेड़ा (रिविलगंज, छपरा) पहुंचीं, तो पूरा गांव खुशी से झूम उठा। उनकी एक झलक पाने के लिए सैकड़ों ग्रामीण उमड़ पड़े। गांववालों ने उन्हें अपनी बेटी और बहन के रूप में गले लगाया, तो वहीं खुद सबिता भी अपने गांव की गलियों में लौटकर भावुक हो गईं। अमेरिका में एक प्रतिष्ठित न्यायाधीश बनने के बावजूद उन्होंने अपने गांव की मिट्टी को नहीं भुलाया और भोजपुरी में बातचीत कर सभी का दिल जीत लिया।
सबिता सिंह का जन्म मुकरेड़ा गांव में हुआ था। उनके पिता शिवेंद्र प्रसाद सिंह एक इंजीनियर थे और अप्रवासी भारतीय के रूप में अमेरिका चले गए। जब सबिता सिर्फ तीन साल की थीं, तब वे भी अपने माता-पिता के साथ अमेरिका चली गईं। वहां उन्होंने कठिन मेहनत से पढ़ाई की और कानून की पढ़ाई करने के बाद पहली दक्षिण एशियाई महिला जज बनने का गौरव हासिल किया। वर्तमान में वे अमेरिका के बोस्टन हाईकोर्ट में जस्टिस के पद पर कार्यरत हैं। गांव में जब सबिता सिंह पहुंचीं, तो ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया। उनके सम्मान में फूल-मालाओं से स्वागत किया गया, ढोल-नगाड़ों की गूंज से पूरा गांव गूंज उठा। उन्होंने बुजुर्गों का पैर छूकर आशीर्वाद लिया, महिलाओं को गले लगाया और छोटे बच्चों को दुलारते हुए भविष्य के लिए प्रेरित किया। इतने सालों बाद भी उनकी सादगी और गांव से जुड़ाव देखकर लोग भावुक हो गए। इस बार सबिता सिंह अकेले नहीं आईं, बल्कि अपने पूरे परिवार के साथ भारत लौटीं। उनके साथ उनके पिता शिवेंद्र प्रसाद सिंह, मां सीता सिंह, छोटी बहन कविता सिंह, उनके दो बेटे भीगो और सोरेन, बेटी आन्या, बहन कविता के बेटे नवीन और बेटी काजल भी आए हुए हैं। उनके दादा रामप्रसाद सिंह छपरा विधि मंडल में वरीय अधिवक्ता थे। उनके परिवार के कई सदस्य आज भी कानून के क्षेत्र में कार्यरत हैं। उनके चाचा ब्रजेश कुमार सिंह, मुक्तेश्वर कुमार सिंह और अमरेंद्र कुमार सिंह छपरा बार एसोसिएशन में महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं। छोटी बहन कविता सिंह अमेरिका में शिक्षिका हैं, जबकि बड़ी बहन सरिता सिंह भी वहीं बस चुकी हैं।