दर्द होने पर अक्सर लोग अपने मन से आइब्रूफेन और पैरासिटामोल खा लेते हैं। वह यह नहीं समझते कि इसका कितना बुरा असर पड़ सकता है। अगर वह लगातार इस तरह करते हैं तो एक तरह से दवाओं के प्रति एंटीबायोटिक प्रतिरोध को न्योता दे रहे हैं। उक्त बातें डॉ. ए के मिश्रा ने कही उन्होंने बताया कि एक शोध में सामने आया है कि आम दर्द निवारक जैसे आइब्रूफेन और एसिटामिनोफेन चुपके- चुपके एंटीबायोटिक प्रतिरोध को बढ़ावा दे रही हैं। यह दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य खतरों में से एक है। यूनवर्सिटी आफ साउथआस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने पाया कि दर्द में इस्तेमाल होने वाली ये दवाएं न केवल व्यक्तिगत रूप से एंटीबायोटिक प्रतिरोध को बढ़ा रहे हैं, बल्कि अन्य दवाओं के साथ उपयोग करने पर इसमें और तेजी आ रही है। शोध के निष्कर्ष एनपीजे एंटीमाइक्रोबियल एंड रेसिस्टेंट पत्रिका में प्रकाशित किया गया। इसमें पाया गया कि आइब्रूफेन और एसिटामिनोफेन ने बैक्टीरियल म्यूटेशंस को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा दिया, जिससे ई. कोलाई एंटीबायोटिक के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी हो गया। प्रमुख शोधकर्ता रिटी वेंटर ने कहा कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध अब केवल एंटीबायोटिक्सके प्रयोग के से जुड़ा नहीं रह गया है, बल्कि यह कई दवाओं के कारण भी बढ़ रहा है। इस तरह के हालात अधिकतर वृद्ध देखभाल सुविधाओं में प्रचलित है। टीमने गैर-एंटीबायोटिक दवाओं और एंटीबायोटिक सिप्रोफ्लोक्सासिन के प्रभाव का अध्ययन किया। बैक्टीरिया को जब आइब्रूफेन और एसिटामिनोफेन के साथ सिप्रोफ्लोक्सासिन के संपर्क में लाया गया, तो उन्होंने एंटीबायोटिक के अकेले उपयोग की तुलना में अधिक आनुवंशिक म्यूटेशंस विकसित किए, जिससे तेजी से बढ़ने और अत्यधिक प्रतिरोधी बनने में उन्हें मदद मिली।