लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकार भी नहीं है सुरक्षित, आम लोगों की सुरक्षा की बात तो दूर की बात है :– प्रियंका कुमारी

नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश सचिव प्रियंका कुमारी ने बिहार के मुख्य मंत्री को पत्र लिखी है जिसमें आए दिन पत्रकार पर हो रहे हमले और पत्रकारों पर हो रहे झूठे मुकदमें और माफियाओं के खिलाफ खबर लिखे जाने पर माफियाओं द्वारा धमकी दिए जाने के बाद भी पत्रकार को पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा मुहैया नहीं कराए जाने को लेकर संबंधित है। प्रियंका कुमारी ने मुख्य मंत्री से अनुरोध की है की जल्द से जल्द पत्रकार के लिए कानून लागू किया जाए ताकि पत्रकारों पर हो रहे अत्याचार पर विराम लग सके। उन्होंने विगत दिनों मुज़फ्फरपुर के मनियारी थाना क्षेत्र के माडीपुर में अपराधियों द्वारा पत्रकार शिव शंकर झा की गला रेत कर निर्मम हत्या कर देने और वहीं विगत दिनों पूर्णियां में समाचार कवर करने गए पत्रकारों के साथ ट्रैफिक थाना के डीएसपी कौशल किशोर व केहाट थाना के एसआई बीरेंद्र सिंह के द्वारा वर्दी का रौब दिखाते हुए बदसलूकी किए जाने पर गहरी संवेदना जाहिर करते हुए प्रशाशन पर उदासीनता का आरोप लगाई है। प्रियंका कुमारी ने कही भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। जहां सब कुछ लोकतांत्रिक तरीके से होता है। लेकिन इस लोकतंत्र को खड़ा करने के लिए जिन चार स्तंभों का इस्तेमाल होता है, उनमें से एक स्तंभ आज पूरी तरह से लहूलुहान है। क्योंकि पत्रकारों की आए दिन हत्याएं हो रही हैं, उन पर लगातार हमले बढ़ रहे हैं। इन हमलों में वह पत्रकार ज्यादा शिकार हो रहे हैं जो दूरदराज के इलाकों में ग्राउंड पर रिपोर्टिंग करते हैं। इन पत्रकारों को फर्जी मामलों में गिरफ्तारी से लेकर हत्या और न जाने कितनी तरह की हिंसा झेलनी पड़ती है। अब सवाल उठता है कि एक पत्रकार जो समाज के उस आखरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति की आवाज को सत्ताधीशों के कानों तक पहुंचाने का भरसक प्रयास करता है, आखिर उसकी कलम की आवाज को कौन हमलों से दबाने की कोशिश कर रहा है? इन बातों से साफ जाहिर होता है कि बिहार ही नहीं पूरे भारत में पत्रकारिता की स्थिति कितनी खराब है।

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