बिहार के बेतिया में वनवासी बनकर 12 घंटे जंगल में गांव वाले समय बिताते हैं। बताया जाता है कि यह परंपरा कई साल से चलती आ रही है। मामला बगहा पुलिस जिले के नौरंगिया गांव की है। जहां हर साल एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है।
बता दें कि सीता नवमी के दिन पूरा गांव 12 घंटे के लिए जंगल चला जाता है। यह दिन बैसाख शुक्ल नवमी को आता है। सुबह छह बजे से पहले गांव के सभी लोग वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के भजनी कुट्टी पहुंचते हैं। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, पुरुष और मवेशी तक साथ जाते हैं। जंगल में त्योहार जैसा माहौल होता है। महिलाएं पकवान बनाती हैं। बच्चे खेलते हैं। बुजुर्ग लोक कथाएं सुनाते हैं। सभी लोग मिलकर मां दुर्गा की पूजा करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं। फिर सामूहिक भोजन होता है।
गांव में मान्यता है कि कई साल पहले यहां भीषण आग लगी थी। महामारी फैली थी, तब बाबा परमहंस ने देवी मां की तपस्या की थी। देवी ने स्वप्न में गांव को एक दिन खाली करने का आदेश दिया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। गांव के मुखिया सुनील महतो ने बताया कि यह आस्था का विषय है। कोई गंभीर बीमार भी हो तो उसे भी जंगल ले जाया जाता है। यह परंपरा नौरंगिया को धार्मिक पहचान देती है। साथ ही सामाजिक एकता और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक भी बन गई है।