गया ओटीए में कमांडेंट अवार्ड समारोह, प्रशिक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेट्स सम्मानित

गया-बोधगया मुख्य सड़क मार्ग पर पहाड़पुर गांव के पास स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) परिसर में सोमवार को कमांडेंट अवार्ड समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में वैसे कैडेट्स को पुरस्कृत किया गया, जिन्होंने अपने प्रशिक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है गया ओटीए के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एसएस दहिया द्वारा कैडेट्स को विभिन्न प्रकार के मेडल से पुरस्कृत किया गया। इस मौके पर उन्होंने अपने पासआउट होने वाले ऑफिसर्स को शुभकामनाएं दी। मालूम हो कि इस बार यहां पासिंग आउट परेड 8 मार्च को है। वहीं 7 मार्च को मल्टी एक्टिविटी डिस्प्ले का आयोजन किया जाएगा। जिसमें जवानों द्वारा एक-से-बढ़कर एक रोमांचक करतब प्रस्तुत किया जाएगा। इस बार गया ओटीए से 170 कैडेट्स पास आउट हो रहे है। वहीं पहली बार गया के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) से 18 महिलाएं सैन्य अधिकारी बनेंगे। हालांकि इस बार बिहार के छह कैडेट्स भी शामिल हैं।  मौके पर ओटीए के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एसएस दहिया ने कहा कि 8 मार्च को पासिंग आउट परेड का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 170 जेंटलमैन कैडेट्स पास आउट होंगे। जिसमें 18 महिलाएं शामिल हैं। इसके बाद ये विशेष ट्रेनिंग के बाद सैन्य अधिकारी बनेंगे। हम इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं। उन्होंने कहा कि 18 जुलाई वर्ष 2011 में गया ओटीए की स्थापना हुई थी। तब से गया ओटीए लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। देश के प्रशिक्षण देने वाले उत्तम संस्थानों में गया ओटीए की गिनती की जा रही है। यहां कैडेट्स को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसके बाद वे सैन्य अधिकारी बनकर देश की सेवा करते हैं। उन्होंने कहा कि  शॉर्ट सर्विस कमीशन की शुरुआत की गई है। जिसके तहत मेल और फीमेल दोनों कैडेट्स को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था शुरू की गई है। निश्चित रूप से गया ओटीए के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। गया के अवसर प्रशिक्षण अकादमी में आयोजित होने वाले पासिंग आउट परेड से पहले कमांडेंट अवार्ड सेरेमनी का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रशिक्षक अवधि में बेहतर प्रदर्शन करने वाले कैडेट्स को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान ओटीए कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एसएस दहिया ने कैडेट्स को सम्मानित किया। इस अवसर पर बत्रा बटालियन को पूरे प्रशिक्षण अवधि में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए कमांडेंट बैनर से सम्मानित किया गया। वही बेस्ट बटालियन की ट्रॉफी भी बत्रा बटालियन ने ही जीती। जबकि इंटर कंपनी स्पोर्ट्स चैंपियनशिप की विजेता ट्रॉफी गुरेज कंपनी ने जीती।
कार्यक्रम के दौरान कैडेट कृष्णा राजू साइदाने को बेस्ट कैडेट में ड्रिल के लिए गार्ड्स सिल्वर मेडल, विनीत माली को बेस्ट कैडेट इन फिजिकल ट्रेनिंग के लिए सिख रेजीमेंट सिल्वर मेडल, रोशन चिराग सिंह धालीवाल को टैक्टिकल एबिलिटी में बेस्ट कैडेट के लिए जाट रेजीमेंट सिल्वर मेडल, प्रवीण शर्मा को सर्विस सब्जेक्ट में बेस्ट कैडेट के लिए इन्फेंट्री डीटीई सिल्वर मेडल, शिवम मिन्हास को गढ़वाल राइफल सिल्वर मेडल, कुमार अभिमन्यु को बेस्ट कैडेट इनिक्वेशन के लिए कमांडेंट सिल्वर मेडल प्रदान किया गया। वही पाटिल गायत्री राजेश को विपिन ट्रेनिंग में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए महार रेजीमेंट सिल्वर मेडल, गगनप्रीत कौर को पॉइंट में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए राजपूत रेजीमेंट सिल्वर मेडल एवं निशा रावत को भारत में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए कॉर्प्स ऑफ इंजीनियर सिल्वर मेडल प्रदान किया गया।

यूक्रेन और रूस के युद्ध से बहुत कुछ हमलोगों ने सीखा 
वहीं गया ओटीए में कमांडेंट अवार्ड समारोह के बाद कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एसएस दहिया ने पत्रकारों से बातचीत के क्रम में कहा कि रुकती नहीं चलती रहती है, ये जिंदगी के कार्यकलाप। उसी तरह से जैसे जिंदगी है। वैसा ही युद्ध है। युद्ध में भी कोई चीज स्थिर नहीं है। लगातार बदल रहा है। जैसे आप देख रहे होंगे की यूक्रेन और रूस के युद्ध में नई-नई तकनीक आ रहे हैं। नए-नए तौर तरीके आ रहे हैं। हम लोग आर्मी में दुनिया में जहां कहीं लड़ाई होता है, हम उस पर गहरे रूप से अध्ययन करते हैं। इस चीज के लिए कि हम इससे क्या सीख सकते हैं। बुद्धिमत्ता उसी में है कि किसी और की गलती से आप सीख लीजिए।  हमारी स्पेशलिस्ट टीम है शिमला में आर्मी ट्रेंनिंग कमांड है, उनका में फॉक्स है की ट्रेनिंग में क्या सुधार लाया जाए। ट्रेनिंग में क्या नया-नया तकनीक डाला जाए। जिससे कि हम अपने आप को भविष्य की लड़ाई में तैयार कर सकें। स्पेशलिस्ट लोग अध्ययन करके, हम लोगों को मैसेज भेजते हैं। कुछ उदाहरण मैं दे सकता हूं। यहां पर हम अकादमी में यूक्रेन युद्ध को देखकर ड्रोन क्लब शुरू करने वाले हैं। ड्रोन बनाने और ड्रोन उड़ने के साथ  फिल्ड में काम कैसे किया जा सकें। यह हमने यूक्रेन युद्ध से सीखा है। इसी तरह से हम लोग एक साइंटिफिक लैब बनाने जा रहे हैं। आज हम लोग गया ओटीए में 170 लोगों को कर ट्रेनिंग देकर सैन्य अधिकारी बना रहे हैं। आने वाले दिनों में यह नंबर बढ़कर 380 होने वाला है। इससे यह दर्शाता है कि धीरे-धीरे टेक्नोलॉजी की अहमियत बढ़ गई है। आर्मी के फील्ड में हम लोग अच्छी तरह से वाकिफ है। हम लोग भी इस माहौल मे ढालने की कोशिश कर रहे हैं।

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