
आरा। सरकारी जमीन हड़पने के मामले में चाहे जितनी भी फर्जीवाड़ा कर ले समय के साथ इसका खुलासा होगा और आप जरूर बदनाम होने के साथ जेल भी जा सकते हैं।
सुविधा की कमी:-
सत्य साबित करते हुए आरा सदर अंचल में एक ऐतिहासिक फैसला करते हुए भोजपुर एडीएम ने नौ जमाबंदी से जुड़े 12 लोगों की जमाबंदी को 27 वर्षों के बाद रद्द कर दिया है। करोड़ों की कीमती जमीन होने के कारण हाल के दिनों में बहुत बड़ा फैसला माना जा रहा है। पूरा मामला आरा सदर अंचल क्षेत्र के गौसगंज से जुड़ा हुआ है।
वर्तमान में ये है व्यवस्था
सरकरी गैर मजरूआ जमीन जिसका खाता नंबर 166 खेसरा नंबर 267 और रकबा एक एकड़ है कि स्थानीय अंचल कर्मचारियों और पदाधिकारी की मिली भगत से वर्ष 2098-99 में फर्जी ढंग से 12 लोगों के द्वारा निबंधन करा लिया गया था। निबंधन कराने के दौरान इन लोगों ने सरकारी जमीन या प्रतिबंधित खाता होने से बचने के लिए जमीन का खाता बदल दिया खेसरा, चौहदी और रकबा वही रहने दिया।

प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।
परंतु जांच में यह मामला सामने आया कि सही खाता संख्या 166 खेसर 267 रकबा एक एकड़ के बदले इन सभी ने खेसरा 267 रकबा लगभग एक एकड़ परंतु खाता 166 के बदले 69 व 771 दर्ज कर दिया।
इसके बाद स्थानीय तत्कालीन अंचलाधिकारी और राजस्व कर्मचारी के मेल मिलाप से उसका दाखिल खारिज भी करवा लिया। दाखिल खारिज के बाद ऑनलाइन जमाबंदी भी कर ली गई। मामले का खुलासा एक अतिक्रमण की सुनवाई के दौरान वर्तमान अंचलाधिकारी पल्लवी कुमारी गुप्ता के द्वारा किया गया। जांच में मामला सही पाए जाने पर अंचलाधिकारी ने एडीएम को जमाबंदी रद करने की अनुशंसा की।
अंचलाधिकारी की अनुशंसा को देख विगत माह पूर्व एडीएम ने सभी जमाबंदी को रद्द करते हुए खाता, खेसरा व रकवा फिर से अपडेट करने का निर्देश दिया है।