जाम और भीड़ से बचने के लिए नाव से कुंभ हो आए युवक

बक्सर। बक्सर के कम्हरिया गांव के आठ युवकों ने प्रयागराज कुंभ स्नान के लिए अनोखा तरीका अपनाया। ट्रेन में भीड़ और सड़क मार्ग पर भारी जाम की समस्या को देखते हुए उन्होंने जल मार्ग से प्रयागराज तक की यात्रा करने का फैसला किया। पांच दिनों में करीब 600 किलोमीटर की दूरी नाव से तय कर ये युवक संगम पहुंचे, स्नान किया और वापस बक्सर लौट आए।
नाव यात्रा करने वाले युवकों में मनु कुमार, सुमंत चौधरी, संदीप कुमार गोंड, सुखदेव चौधरी, पद्दू चौधरी, रविंद्र चौधरी, रमेश चौधरी और अशोक यादव शामिल थे। मनु कुमार ने बताया कि जब उन्होंने सुना कि प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों में भीषण भीड़ है और हाईवे पर वाहनों की लंबी कतार लगी है। इस वजह से 40 किलोमीटर पहले ही वाहनों को रोक दिया जा रहा है, तो उन्होंने जल मार्ग से जाने का निश्चय किया।
मनु कुमार ने बताया कि उन्होंने अपनी खुद की नाव से सफर करने का निर्णय लिया। 11 फरवरी को सुबह 10 बजे कम्हरिया गांव के गंगा घाट से अपनी नाव पर खाने-पीने का पूरा सामान लेकर प्रयागराज के लिए रवाना हुए। नाव पर सब्जी, चावल, दाल, आटा, गैस सिलेंडर और अन्य जरूरी सामान पहले से रखा गया था। 13 फरवरी की रात एक बजे ये युवक प्रयागराज पहुंचे और संगम से करीब पांच किलोमीटर पहले नाव खड़ी कर त्रिवेणी संगम में स्नान किया। इसके बाद 15 फरवरी को सभी सुरक्षित वापस बक्सर लौट आए।
यात्रा के दौरान किसी भी तरह का डर या घबराहट नहीं थी, क्योंकि ये सभी युवक नाव चलाने और मछली पकड़ने के काम में पहले से निपुण थे। उन्होंने बताया कि नाव पर ही खाना बनाया जाता था और सोने की व्यवस्था भी वहीं थी। सफर के दौरान चार लोग नाव चलाते थे, जबकि चार लोग आराम करते थे। यात्रा के दौरान कई बार गंगा की धारा भ्रमित कर देती थी। खासकर जमानिया के पास जहां नदी दो धाराओं में बंट जाती है, वहां कई बार वे गलत दिशा में चले जाते और फिर वापस लौटकर मुख्य धारा पकड़नी पड़ती। यह सफर जितना रोमांचक था, उतना ही धैर्य की परीक्षा भी ले रहा था।
यात्रा के एक और सहभागी सुमंत चौधरी ने बताया कि जब उन्होंने गांव में अपनी योजना के बारे में बताया, तो लोगों ने मजाक उड़ाया और कहा कि यह असंभव है, आधे रास्ते में ही लौट आओगे। लेकिन युवकों ने अपने हौसले को बरकरार रखा। उन्होंने कहा कि बीच रास्ते में जब कठिनाइयां आईं, तो थोड़ी हिम्मत जरूर डगमगाई, लेकिन यह सोचकर आगे बढ़ते रहे कि अगर वापस लौटे, तो गांव में लोग हमें और भी ज्यादा ताने देंगे।
यात्रा के दौरान पेट्रोल की जरूरत को पूरा करने के लिए युवकों ने 20 लीटर पेट्रोल का गैलन अपने साथ लिया और रास्ते में कई बार अतिरिक्त पेट्रोल खरीदकर स्टोर कर लिया। पूरी यात्रा में करीब 20 हजार रुपये का खर्च आया, जिसमें आठ हजार रुपये सिर्फ मोटरबोट के पेट्रोल पर खर्च हुए। नाव पर सफर को सुचारु रूप से चलाने के लिए हर समय दो लोग नाव चलाते थे, जबकि बाकी लोग आराम करते थे।
इन युवकों की सफलता को देखकर बक्सर के अन्य नाविकों ने भी प्रयागराज के लिए नाव सेवा शुरू करने की योजना बनाई। कुछ नाविकों ने प्रति व्यक्ति 2500 रुपये किराया निर्धारित कर यात्रा शुरू करने की घोषणा की। हालांकि प्रशासन ने इसे असुरक्षित मानते हुए इस यात्रा पर रोक लगा दी। बक्सर के सदर एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा ने कहा कि बिना सुरक्षा उपकरणों के इस तरह की लंबी नाव यात्रा खतरे से खाली नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि जो भी नाविक इस यात्रा का संचालन कर रहे हैं, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है।
प्रशासन ने स्पष्ट किया कि बक्सर से प्रयागराज नाव सेवा को न तो जिला प्रशासन ने अनुमति दी है और न ही भारतीय अंतदेर्शीय जलमार्ग प्राधिकरण ने इसे अधिकृत किया है। एसडीएम ने कहा कि नावों पर यात्रियों की संख्या अधिक होने और पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम न होने से यह यात्रा बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। इस तरह की अवैध यात्रा को रोकने के लिए संबंधित अधिकारियों को गंगा नदी की सतत निगरानी करने का आदेश दिया गया है। सदर एसडीओ ने नगर परिषद, अंचल अधिकारी और थाना प्रभारी को निर्देश दिया है कि अगर प्रयागराज की ओर जाते हुए कोई भी नाव दिखे, तो उसे रोककर जब्त कर लिया जाए। साथ ही इस यात्रा का आयोजन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
प्रशासन की इस सख्ती से बक्सर के नाविकों में नाराजगी देखी जा रही है। नाविकों का कहना है कि अगर सरकार उचित दिशा-निर्देश और लाइसेंस जारी करे, तो वे इस यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित तरीके से संचालित कर सकते हैं।
एक नाविक ने कहा कि हम गंगा के रास्ते से नाव चला सकते हैं और कुंभ स्नान के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षित पहुंचा सकते हैं। अगर सरकार हमें इस सेवा के लिए लाइसेंस देती है, तो हम यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए सभी उपाय करेंगे, जैसे कि लाइफ जैकेट और प्रशिक्षित नाविकों की व्यवस्था।

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