थम नहीं रही कछुए की तस्करी

योग नगरी ऋषिकेश से हावड़ा जा रही दून एक्सप्रेस से एक बार फिर जिंदा कछुए बरामद किए गए हैं। ट्रेन के जनरल कोच से कुल 60 कछुए मिले। आरपीएफ और सीआइबी की टीम ने कछुआ तस्करी में शामिल उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के दो लोगों को गिरफ्तार किया है। आरपीएफ अधिकारियों के अनुसार दून एक्सप्रेस में कछुआ तस्करी की लगातार हो रही घटनाओं को देखते हुए निगरानी बढ़ा दी गई थी। ट्रेन गोमो स्टेशन से खुलने के बाद ब्रेक-वान से सटे जनरल कोच में दो संदिग्ध व्यक्तियों को देखा गया।
तलाशी लेने पर उनके पास से जिंदा कछुए मिले। दोनों को कछुओं समेत धनबाद स्टेशन पर उतारकर हिरासत में ले लिया गया। पकड़े गए तस्करों में पश्चिम बंगाल के 24 परगना निवासी 59 वर्षीय राम दास और उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर निवासी 58 वर्षीय हिमांशु वैध शामिल हैं।
पूछताछ में दोनों ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद के अतरौलिया थाना क्षेत्र में पत्तल बनाने वाले मुसहर समुदाय के लोगों से लगभग 120 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से कछुए खरीदते थे।
इसके बाद इन्हें चोरीझ्रछिपे ट्रेन से पश्चिम बंगाल ले जाया जाता था और 24 परगना जिले में रहने वाले कार्तिक शाह नाम के व्यक्ति को बेचा जाता था। कार्तिक इन कछुओं का क्या करता है, इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। तस्करों ने बताया कि वे पिछले दो वर्षों से यह काम कर रहे हैं और महीने में दो-तीन बार आना-जाना करते हैं।
दून एक्सप्रेस से 32 दिनों के भीतर कछुए बरामद होने की यह तीसरी घटना है। इससे पहले 7 नवंबर को 78 और 3 दिसंबर को 35 जिंदा कछुए मिले थे। पिछली दोनों बरामदगियों में तस्कर पकड़े नहीं जा सके थे।
सीआइबी इंस्पेक्टर अरविंद कुमार राम, आरपीएफ एएसआइ जीवालाल राम, शशिकांत तिवारी, फूलचंद महतो, बृजेश कुमार, विकास कुमार, उमापति सिंह, अमित वर्मा और तनवीर इस अभियान में शामिल थे। यूपी से ट्रेन के जरिए बंगाल में कछुओं की तस्करी एक पुराना और संगठित अवैध नेटवर्क है। पकड़े गए मामलों और वाइल्डलाइफ विशेषज्ञों के अनुसार, इन कछुओं का उपयोग मुख्य रूप से चार तरह किया जाता है:

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