अमेरिकी टैरिफ से मखाना निर्यात पर संकट

तेजी से बढ़ा है मखाने का उत्पादन, विकल्पों पर विचार कर रहे निर्यातक

अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा का असर मखाना के निर्यात पर भी पड़ेगा। अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने से बिहार के मखाना निर्यातकों की चिंता बढ़ गई है। यह इसलिए भी कि भारत से मखाना के कुल निर्यात में 25 प्रतिशत अमेरिका को भेजा जाता है।
भारत में कुल मखाने का करीब 90 प्रतिशत उत्पादन बिहार के कोसी, सीमांचल और मिथिलांचल के जिलों में होता है। डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा से पहले अमेरिका में मखाना पर 3.5 प्रतिशत टैरिफ लगता था और यह 8 से 11 हजार रुपये किलो की दर से बिकता था। अब इसकी कीमत 14 से 15 हजार रुपये प्रति किलो हो जाने का अनुमान है।
पूर्णिया में फार्म टू फैक्ट्री कंपनी का संचालन करने वाले मखाना निर्यातक मनीष कुमार का कहना है कि टैरिफ के कारण मखाना की कीमत बढ़ेगी, जिससे मांग प्रभावित होगी। अमेरिका की टैरिफ नीति में ऊहापोह के कारण पिछले चार महीनों से अमेरिका से आर्डर नहीं आ रहा है। उम्मीद थी कि व्यापार समझौता होने के बाद मखाना निर्यात को गति मिलेगी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
कृषि विभाग के आंकड़ों की मानें तो बिहार में पिछले 10 वर्षों में मखाना का रकबा बढ़कर दो गुना हो गया है। भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा मखाने का सबौर वन प्रभेद विकसित करने के बाद से न केवल प्रति हेक्टेयर मखाने का उत्पादन बढ़ा है, बल्कि किसानों में इसकी खेती के प्रति आकर्षण भी बढ़ा है।
देश में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुपर फूड के रूप में मखाना की बढ़ती मांग ने भी इसका रकबा बढ़ाया है। इस वर्ष सीमांचल के चार जिलों पूर्णिया, कटिहार, अररिया व किशनगंज में लगभग 35 हजार हेक्टेयर में मखाना की फसल लगी है।
अकेले कटिहार जिले में 11 हजार हेक्टेयर से अधिक में इसकी खेती हो रही है। बिहार में मखाने का सर्वाधिक उत्पादन 12 हजार 900 टन कटिहार में ही होता है। दूसरे नंबर पर पूर्णिया है, जहां आठ हजार टन उत्पादन होता है।
उद्यान विभाग के पूर्णिया प्रमंडल के उपनिदेशक ओमप्रकाश मिश्र का कहना है कि अमेरिका की टैरिफ नीति से मखाना निर्यात पर त्वरित प्रभाव नहीं पड़ेगा।
वैसे भी निर्यातक अन्य देशों में विकल्प तलाश रहे हैं। हाल के दिनों में खाड़ी देशों में मखाने का निर्यात सर्वाधिक बढ़ा है।
निर्यातक मनीष बताते हैं कि डाक निर्यात केंद्र से अगर एक किलो मखाना अमेरिका भेजने में एक हजार रुपये खर्च आते हैं तो खाड़ी देशों में 600 रुपये ही लगते हैं। अभी भारत का ब्रिटेन के साथ भी मुक्त व्यापार समझौता हुआ है। यह ब्रिटेन और यूरोप के अन्य देशों में मखाना निर्यात बढ़ाने में सहायक होगा। हम हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार को भी हमारा साथ और सहयोग बढ़ाना होगा।

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