
पशुपालकों की दशा सुधारने की दिशा में उदाकिशुनगंज स्थित प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय पशु पालक के लिए बाधक बना है। करोड़ों की राशि खर्च कर पशु अस्पताल तो बना दिया गया लेकिन उचित सुविधा नहीं होने के कारण पशु पालक परेशान रहता है। कुछ लोगों की बात को माने तो सबसे बड़ी बात तो यह कि अस्पताल में दवाई रहते हुए भी पशु पालक को दवाई नहीं दिया जाता है। हाल फिलहाल एक मामला सामने आया है जहां पशु पालक द्वारा करीब 15 दिनों से बार बार पशु के लिए दवाई की मांग किए जाने पर दवाई उपलब्ध नहीं होने का लाचारी बताते हुए चिकित्सक ने एक सदा कागज पर दवाई लिख दिया जिसे बाजार से खरीदने को कहा गया। हद तो तब हो गया जब पशु पालक ने बताया कि हेल्पलाइन नंबर 1962 पर कॉल करने पर पशु चिकित्सा इकाई घर पहुंचकर पशुओं का इलाज करेगी। जब 1962 पर फ़ोन लगाया तो लग ही नहीं रहा है। शो में गाड़ी खड़ी है। कुल मिलाकर ये कहना अनुचित नहीं होगा कि पशुओं की चिकित्सा व्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है।