उदाकिशुनगंज में फर्जी डाक्टरों का बाजार, खूब फल-फूल रहा अवैध अस्पतालों का धंधा; विभाग ने साधी चुप्पी।

बिहार के मधेपुरा जिले में फर्जी डाक्टर मरीजों का इलाज करते हैं। उदाकिशुनगंज में अवैध अस्पतालों का धंधा खूब फल-फूल रहा है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ऐसे अवैध क्लिनिक संचालकों के विरुद्ध कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साधे हुए है। बिहार के मधेपुरा जिले में अवैध अस्पताल व क्लिनिकों का धड़ल्ले से संचालन हो रहा है। जिला मुख्यालय में ही दो दर्जन से अधिक अवैध क्लिनिकों संचालित हो रहे हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी अवैध निजी अस्पतालों व क्लिनिकों का कारोबार चरम पर है। फर्जी चिकित्सक धड़ल्ले से अपने क्लिनिकों के सामने हड्डी रोग विशेषज्ञ, गाइनी विशेषज्ञ, जेनरल फिजीशियन, शिशुरोग विशेषज्ञ आदि लिखे बोर्ड लगाकर मरीजों को भ्रम में डाल आर्थिक दोहन कर रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ऐसे अवैध क्लिनिक संचालकों के विरुद्ध कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साधे हुए है। कार्रवाई के डर से दुबक गए थे कई अवैध अस्पताल संचालक, बड़े-बड़े पोस्टर, बैनरों तलें पर डॉ का नाम लिखा हुआ रहता लेकिन डिग्री नहीं अगर इस संबंध में पुछताछ किया जाता है तो चुप्पी साधे देते हैं। बताते चलें कि दो माह पूर्व उपायुक्त के आदेश पर अवैध रुप से संचालित निजी क्लिनिकों व अस्पताल के विरुद्ध कार्रवाई शुुरु होने के बाद हड़कंप मचा हुआ था। एमबीबीएस चिकित्सकों के नाम पर रजिस्ट्रेशन कराकर फर्जी चिकित्सकों के सहारे संचालित होनेवाले करीब पांच दर्जन निजी क्लिनिक व अस्पताल संचालकों ने स्वास्थ्य विभाग के समक्ष अपने रजिस्ट्रेशन को सरेंडर कर दिया था। जबकि बिना रजिस्ट्रेशन वाले कई क्लिनिक संचालकों ने छापेमारी के भय से अपना बोर्ड भी हटा लिया था। लेकिन इन दिनों फर्जी अस्पताल व क्लिनिक संचालक बेखौफ होकर अपने धंधे में जुटे हैं।
सदर अस्पताल के सामने ही फल-फूल रहे कई अवैध निजी अस्पताल व क्लिनिक ग्रामीण क्षेत्रों की कौन कहे, जिला मुख्यालय में ही सदर अस्पताल के सामने ही कई फर्जी क्लिनिक व जांच केंद्रों का धंधा फल-फूल रहा है। कई क्लिनिक तो बिना रजिस्ट्रेशन के ही चलाए जा रहे हैं। उदाकिशुनगंज फुलौत चौक , कांल स्टोर के सामने कई क्लिनिकों में एमबीबीएस चिकित्सक द्वारा संचालित क्लिनिक भी अभी तक क्लिनिकल एस्टेबलिस्मेंट एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं है। जबकि कई निजी अस्पताल ऐसे भी हैं, जिन्होंने दो माह पहले अपना रजिस्ट्रेशन सरेंडर कर दिया था। लेकिन नया रजिस्ट्रेशन मिले बिना ही बेखौफ होकर अपने कारोबार कर रहे हैं। जबकि अवैध क्लिनिक व अस्पतालों के दलाल सदर अस्पताल परिसर में ही ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को बहला फुसलाकर उन निजी अस्पतालों में पहुंचा देते हैं।

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