राजगीर पुलिस अकादमी में 12 प्रशिक्षु उपाधीक्षकों (DSP) का शुक्रवार को दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। एक वर्ष के कठोर प्रशिक्षण के बाद ये नवनियुक्त पुलिस अधिकारी अब क्षेत्र में सेवा देने के लिए तैयार हैं। समारोह में प्रशिक्षुओं द्वारा प्रस्तुत परेड ने सभी उपस्थित गणमान्य अतिथियों और परिवारजनों का दिल जीत लिया। परेड की बेहतरीन प्रस्तुति ने यह दर्शाया कि प्रशिक्षणार्थियों ने किस तरह अनुशासन और कौशल को आत्मसात किया है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजगीर पुलिस अकादमी की निदेशक सह अपर पुलिस महानिदेशक आर. मलर विजी ने नवनियुक्त अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि एक साल के सफल प्रशिक्षण के बाद आज आप एक गरिमामय दहलीज से बाहर जा रहे हैं। यहाँ से जो भी सीखा है, उसे अब जमीन पर उतारने का समय आ गया है। उन्होंने प्रशिक्षुओं, प्रशिक्षकों और फैकल्टी सभी की सराहना करते हुए कहा कि आज की परेड इस बात का प्रमाण है कि प्रशिक्षण की गुणवत्ता कितनी उत्कृष्ट रही है।
डीजी विजी ने अपने संबोधन में तीन महत्वपूर्ण पहलुओं पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि अकादमी में मिला प्रशिक्षण केवल नींव है, शुरुआत है। “अब बाहर जाकर हर किसी से सीखना होगा। दिमाग को खुला रखना होगा। 30 साल की सेवा के बाद भी मैं रोज कुछ नया सीखती हूँ।” निदेशक ने प्रशिक्षुओं की शारीरिक क्षमता में आए बदलाव की सराहना करते हुए कहा कि जो पहले चल नहीं पाते थे, आज दौड़ लगा रहे हैं। “आपकी सीमा असीमित है, इसे और विकसित करते रहें। परिवार से दूर एक साल बिताने के बाद यहाँ बना नया परिवार – सहपाठी, फैकल्टी और अकादमी – यह बंधन जीवनभर रहेगा।”
अपने संबोधन के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से में डीजी विजी ने कहा कि यह सारा प्रशिक्षण किसलिए? ताकि कानून को सही तरीके से लागू कर सकें। और कानून किसके लिए? सबके लिए – उनकी सुरक्षा, उनके अधिकारों की रक्षा और न्याय दिलाने के लिए।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह काम डेस्क या मोबाइल के पीछे बैठकर नहीं होगा। “आपको जनता से मिलना होगा, पीड़ितों से मिलना होगा। आपकी वर्दी देखकर उन्हें विश्वास मिलना चाहिए कि उनकी बात सुनी जाएगी और उनका काम होगा।”
निदेशक ने नवनियुक्त अधिकारियों को सलाह दी कि पीड़ितों से कैसे बात करनी है, यह उन्हें सिखाया गया है। “जितना संयम से सुनेंगे, जितना आश्वासन देंगे, उतना ही उन्हें लगेगा कि समाधान मिलेगा और व्यवस्था में भरोसा बनेगा।” उन्होंने कहा कि केवल सुनना काफी नहीं है, जब तक न्याय नहीं मिल जाता, हर कदम पर उस व्यक्ति के मामले को फॉलो करना होगा।
