पशु चिकित्सा सेवा बदहाल: दवा और कर्मियों के अभाव में नहीं हो रहा पशुओं का इलाज।

वरदान न्यूज: मधेपुरा। पशु चिकित्सालय में दवाओं की कमी की खबरें सामने आ रही हैं। कुछ जगहों पर पशुपालकों को अपने बीमार पशुओं के इलाज के लिए दवाइयाँ बाजार से महंगी दरों पर खरीदनी पड़ रही हैं। पशुओं में चेचक रोग जिसे पॉक्सवायरस संक्रमण भी कहा जाता है, एक संक्रामक बीमारी है जो विभिन्न प्रकार के जानवरों को प्रभावित करती है, जिनमें मवेशी,बकरी और मुर्गी शामिल हैं। यह बीमारी बुखार, त्वचा पर चकत्ते (पपल्स, वेसिकल्स, पुटिकाएँ), और आंतरिक अंगों में घावों का कारण बन सकती है। कुछ पॉक्सवायरस संक्रमण जूनोटिक भी होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे जानवरों से मनुष्यों में फैल सकते हैं। 
मधेपुरा : जिले में सरकारी पशु चिकित्सालय खुद बीमार है। पशुओं का इलाज कराना है अस्पताल में पैसे भी साथ लेकर जाएं, क्योंकि अस्पताल में दवा के बदले पशुपालकों की जेबें ढीली हो रही है। इन दवाओं को अस्पताल में रखना अनिवार्य है। एक भी दवा उपलब्ध नहीं है। पिछले एक वर्ष से दवा की आपूर्ति नहीं हुई है। हालांकि, प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सा केंद्र उदाकिशुनगंज की बात करें तो यहां भगवान भरोसे ही चल रहा है। पशु पालकों को सरकारी स्तर पर दी जाने वाली सुविधाएं नहीं मिल पा रही। मवेशियों के इलाज के लिए विभाग द्वारा लगभग 24 प्रकार की आवश्यक रूप से दवा रखने का प्राविधान है। यहां एक वर्ष से अधिक समय से एक भी दवा मवेशियों के लिए नहीं है। आलम यह है कि यहां मवेशियों के गर्भाधान के लिए सीमेन तक की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यहां के पशुपालक जहां-तहां वह झोलाछाप पशु चिकित्सक के शरण में जाने को मजबूर हैं। दवाई और इलाज सही से नहीं होने के कारण कई मवेशी बीमार होकर मौत के मुंह में जा रहे है। जहां पशु चिकित्सा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।

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